थोड़े मेरे भी पैसे बच जाएंगे तो मेरा घर अच्छे से चल जाएगा।" थोड़े मेरे भी पैसे बच जाएंगे तो मेरा घर अच्छे से चल जाएगा।"
"काश ! मैं समय रहते समझ पाता कि मौसमी पौधे कभी भी तुलसी नहीं बन सकते।" "काश ! मैं समय रहते समझ पाता कि मौसमी पौधे कभी भी तुलसी नहीं बन सकते।"
क्या अभी तक मैं सबके इशारों पर ही चलूंगी ? शायद हां और झिझकके नहीं। क्या अभी तक मैं सबके इशारों पर ही चलूंगी ? शायद हां और झिझकके नहीं।
आज उसे अहसास हो रहा था कि इस समाज में औरत एक वस्तु से अधिक कुछ नहीं है। आज उसे अहसास हो रहा था कि इस समाज में औरत एक वस्तु से अधिक कुछ नहीं है।
सामने दुकान आ गयी थी। बारिश की हल्की सी बूंदें आनी शुरू हो गयीं थीं सामने दुकान आ गयी थी। बारिश की हल्की सी बूंदें आनी शुरू हो गयीं थीं
इसी समाज के डर से उसकी पहचान बदल दी गई हैं इसी समाज के डर से उसकी पहचान बदल दी गई हैं